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Devuthini Ekadashi Tulsi Vivah religious gujarat india

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माता तुलसी की

और पिता विष्णु भगवान की जय

 

भगवान विष्णु ने,

सृष्टि का भार उठाया,

माता तुलसी ने,

सृष्टि के स्वास्थ्य का आधार सम्हाला।

 

जो भी श्रद्धा भक्ति से,

माँ तुलसी की शरण में आएगा,

बिना किसी भेदभाव के,

आरोग्य लाभ पायेगा।

 

माता तुलसी,

एक चिकित्सक की भी,

अहम भूमिका निभाती है,

एक दिन पहले,

जिस रोग के लिए प्रार्थना करोगे,

सुबह उसी रोग की,

औषधि का रस पत्तियों में डालती है।

 

जिस आंगन में,

श्री तुलसी जी विराजती है,

स्वस्थ शरीर में,

उनके चेहरे में सहज़ मुस्कान सजती है।

 

पूजन तुलसी गायत्री मंत्र:-

 

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो वृंदा प्रचोदयात।

 

पूजन विष्णु गायत्री मंत्र:-

 

ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायणः प्रचोदयात।

 

युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपनी पुस्तक – तुलसी के चमत्कारिक गुण में माता तुलसी के आरोग्यवर्धक गुणों को विस्तार से बताया है, उसे पढ़े, लाभों को जानें और लाभ लें। यूट्यूब और गूगल पर भी माता तुलसी के औषधीय लाभ की विस्तृत जानकारी मिल जाएगी।

 

भारतीय सनातन धर्म एक वैज्ञानिक धर्म है। आंगन में तुलसी को प्रत्येक माह नित्य 21 दिन जल चढ़ाने वाली स्त्री को कभी भी गर्भाशय सम्बन्धी रोग नहीं होते, और कम से कम 9 दिन प्रत्येक माह पुरुष द्वारा तुलसी को जल चढ़ाने से उन्हें प्रजनन अंग सम्बन्धी रोग नहीं होते। तुलसी के पत्ते दांतो से डायरेक्ट नहीं चबाना चाहिए उन्हें निगलना चाहिए, या मिश्री में मिलाकर खाना चाहिए। हज़ारो रोगों की एक दवा तुलसी है। तुलसी प्रत्येक समयांतराल में अपना औषधीय अर्क हवा में छोड़ती है, लेकिन ज्यों ही हम झुककर उनकी जड़ो में जल डालते है वो तेज़ी से वो औषधीय अर्क छोड़ती है, जो प्राणवायु में मिलकर हमारी श्वांसों में प्रवेश करता है, और फेफड़े से हृदय तक पहुंचकर, रक्त में मिलकर पूरे शरीर मे पहुंच जाता है। तुलसी का अर्क रोगाणु मारता है, और शरीर के जरूरी जीवाणु को पोषण देता है। इम्म्युनिटी बढ़ाता है।

 

अगर ध्यान दें तो आप पाएंगे कि प्राचीन समय में तुलसी के पौधे को आंगन के बीच में ऊंचे मिट्टी के आधार पर रोपा जाता था। जिससे जल चढ़ाने पर चेहरा तुलसी के ज्यादा नजदीक रहे। स्त्रियों के चेहरे की चमक, झुर्रियों और स्वास्थ्य का ख़्याल माता तुलसी रखती थीं, एक मित्र की तरह स्त्री अपने सुख दुःख सब उनसे कहती थी। डिप्रेशन कभी नहीं होता था। तुलसी सहज तनाव हर लेती थी।

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